भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता: शराब और कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करने की मांग /Trade talks between India and America: Demand to reduce tariff on liquor and agricultural products*
मुख्य बिंदु
- अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच की टीम 29 मार्च तक नई दिल्ली में भारत सरकार के साथ वार्ता कर रही है।
- अमेरिका चाहता है कि भारत अमेरिकी शराब, कृषि उत्पादों और ऑटोमोबाइल पर लगने वाले आयात शुल्क (टैरिफ) को कम करे।
- अगर भारत टैरिफ नहीं घटाता, तो 2 अप्रैल से अमेरिका भारतीय उत्पादों पर “जैसे को तैसा” (Reciprocal) टैक्स लगाएगा।
- इससे भारत के 5.66 लाख करोड़ रुपये के निर्यात को खतरा हो सकता है।
अमेरिका की मुख्य मांगें–
1. शराब पर टैरिफ कम करो
- अभी भारत अमेरिकी शराब (व्हिस्की, वाइन) पर 150% तक का आयात शुल्क लगाता है।
- अमेरिका चाहता है कि यह टैरिफ काफी कम हो, ताकि उसकी शराब भारत में सस्ती हो और ज्यादा बिके।
2. कृषि उत्पादों पर शुल्क घटाओ
- अमेरिका के सोया, बादाम, सेब और डेयरी उत्पादों पर भारत 120% तक टैरिफ लगाता है।
- अमेरिका इसे कम करने पर जोर दे रहा है, क्योंकि उसके किसानों को भारत में बाजार मिल सके।
3. कारों और ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ कम करो
- भारत अमेरिकी कारों पर 100-165% टैरिफ लगाता है, जिससे वे महंगी हो जाती हैं।
- अमेरिका चाहता है कि यह शुल्क घटे, ताकि टेस्ला और फोर्ड जैसी कंपनियों की कारें भारत में आसानी से बिक सकें।

भारत की चिंताएं और संभावित समझौता
1. भारत “मध्यमार्गी” रास्ता अपना सकता है*
- भारत 1.97 लाख करोड़ रुपये के टैरिफ कम करने पर विचार कर रहा है, लेकिन धीरे-धीरे।
- शराब और कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम किया जा सकता है, लेकिन पूरी तरह नहीं।
2. अगर समझौता नहीं हुआ, तो क्या होगा?
- 2 अप्रैल से अमेरिका भारतीय उत्पादों पर भारी टैक्स लगा सकता है, जैसे:
- धातु (स्टील, एल्युमिनियम) पर 25% टैक्स
- फार्मा और ज्वैलरी पर अतिरिक्त शुल्क
- इससे भारत को सालाना 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
3. व्यापार घाटा की समस्या
- भारत और अमेरिका के बीच सालाना 17 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होता है।
- इसमें भारत का निर्यात 9 लाख करोड़ और आयात 8 लाख करोड़ है।
- लेकिन *अमेरिका भारतीय उत्पादों पर सिर्फ 2.2% टैरिफ लगाता है, जबकि *भारत अमेरिकी उत्पादों पर 12% टैरिफ लगाता है।
- अमेरिका को यह 4 लाख करोड़ रुपये का व्यापार घाटा खटक रहा है, इसलिए वह टैरिफ कम करने पर जोर दे रहा है।
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संभावित समाधान और भविष्य
भारत शराब और ऑटोमोबाइल पर टैरिफ धीरे-धीरे कम कर सकता है।
- कृषि उत्पादों पर समझौता हो सकता है, लेकिन भारत अपने किसानों के हितों की रक्षा करेगा।
- अगर दोनों देश समझौता कर लेते हैं, तो भारत के निर्यात को खतरा नहीं होगा।
- अगर समझौता नहीं होता, तो भारतीय कंपनियों को अमेरिका में महंगा बेचना पड़ेगा, जिससे निर्यात प्रभावित होगा।
यह वार्ता भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अगर समझौता होता है, तो दोनों देशों को फायदा होगा। अगर नहीं होता, तो भारत के निर्यात को नुकसान हो सकता है। अब देखना है कि 29 मार्च तक क्या समाधान निकलता है।
FAQs
1. अमेरिका भारत से क्यों नाराज है?
अमेरिका को लगता है कि भारत *उसके उत्पादों (शराब, कृषि, कारों) पर ज्यादा टैरिफ लगाता है, जबकि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर कम टैक्स लेता है। इससे *अमेरिका को व्यापार घाटा हो रहा है।
2. अगर भारत टैरिफ नहीं घटाता, तो क्या होगा?
अमेरिका *2 अप्रैल से भारतीय उत्पादों पर ज्यादा टैक्स लगा सकता है, जिससे *भारत के निर्यात को नुकसान होगा।
3. भारत क्या समझौता कर सकता है?
भारत *शराब और कारों पर टैरिफ धीरे-धीरे कम कर सकता है, लेकिन कृषि उत्पादों पर पूरी तरह नहीं, क्योंकि इससे *भारतीय किसान प्रभावित होंगे।
4. इस वार्ता का भारतीय बाजार पर क्या असर होगा?
- अगर समझौता होता है, तो अमेरिकी शराब और कारें भारत में सस्ती हो सकती हैं।
- अगर नहीं होता, तो भारतीय स्टील, फार्मा और ज्वैलरी निर्यात महंगा हो जाएगा।
5. क्या यह वार्ता सफल होगी?
अभी तय नहीं है, लेकिन भारत “मध्यमार्गी” रास्ता अपना सकता है—कुछ टैरिफ कम करके समझौता कर सकता है।






