दोस्तों, Maha Kumbh मेला एक विशाल धार्मिक आयोजन है जो हर बारह वर्षों में भारत में चार प्रमुख स्थानों – प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आयोजित किया जाता है। यह हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है।
सनातन धर्म में हर व्यक्ति के जीवन में दो चीजें महत्वपूर्ण हैं – एक पुण्य और दूसरा पाप। पुण्य से सुख और पाप से दुख की प्राप्ति होती है। इसलिए, व्यक्ति लगातार पापों का नाश करने और पुण्य अर्जित करने का प्रयास करता रहता है। पुण्य की इस इच्छा की पूर्ति के लिए महा कुंभ पर्व (Maha Kumbh) एक महान अवसर है। संगम में डुबकी लगाने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही, भविष्य में गलत कर्मों से बचने का संकल्प लेने का भी यह अवसर है।
इसीलिए इनसे जुड़े पवित्र स्थानों का महत्त्व है। आईये इस महत्त्व को समझते है –
पवित्र स्थानों का महत्व:
कहा जाता है – Maha Kumbh के मेला में अन्य क्षेत्रों के पाप पवित्र क्षेत्रों में नष्ट हो जाते हैं। पवित्र क्षेत्रों के पाप कुंभकोणम में स्नान से, कुंभकोणम के पाप काशी में स्नान से और सभी स्थानों के पाप प्रयागराज में स्नान से नष्ट हो जाते हैं। ये ऋषि-मुनियों को बताई गई अनुभवी बातें हैं। सामान्य स्नान शरीर की मैल धोने के लिए होता है, लेकिन पवित्र नदियों में स्नान मन की मैल धोता है। इसलिए, कुंभ स्नान पुण्य के संकल्प और पूर्ण श्रद्धा के साथ करना चाहिए।
कुंभ के विशेष स्नान:–
शाही या अमृत स्नान के तीन विशेष पर्व होते हैं, लेकिन कुंभ में पूरे 45 दिनों तक प्रतिदिन स्नान विशेष होता है।
Maha Kumbh 2025:
दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ सोमवार को गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर प्रारंभ होगा। श्रद्धालु पौष पूर्णिमा को स्नान के साथ ‘कल्पवास’ शुरू करेंगे। इस बार 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के कल्पवास करने की उम्मीद है। कल्पवास 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा को स्नान के साथ समाप्त होगा। साथ ही, कुंभ का अंतिम स्नान 26 फरवरी को होगा।
आईये जानते है शाही या अमृत स्नान कब कब होगा ?
अमृत स्नान:-
कुंभ का पहला अमृत स्नान, जो बारह वर्षों में एक बार होता है, मंगलवार को मकर संक्रांति पर होगा। इसमें सभी अखाड़े धूमधाम से संगम में डुबकी लगाएंगे। प्रयाग शहर सहित पूरा मेला क्षेत्र श्रद्धालुओं का स्वागत करने के लिए सजाया गया है। रविवार को, बूंदा बांदी और भीषण ठंड के बीच, पुलिस-प्रशासन ने पहले स्नान की तैयारियां पूरी कर लीं। पूरे मेला क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
अमृत स्नान की प्रक्रिया:-
महानिर्वाणी अखाड़ा से शुरू होकर, यह यात्रा दो घंटे तक चलेगी। सभी 13 अखाड़ों को 40-40 मिनट का समय मिलता है। महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत राजेंद्र दास ने कहा- हम सुबह 3 बजे छावनी छोड़ेंगे और सुबह 5:15 बजे सबसे पहले स्नान करेंगे।
प्रशासन के अनुसार, इसके बाद निर्वाणी अखाड़ा सुबह 6:05 बजे स्नान करेगा, पंच दशनाम जूना अखाड़ा सुबह 7 बजे स्नान करेगा। सबसे बड़े अखाड़ा होने के कारण जूना अखाड़ा को अधिक समय मिला है। इसके बाद शेष अखाड़े क्रम से स्नान करेंगे। अंतिम रूप से, पंचायत निर्मल अखाड़ा दोपहर 2:20 बजे स्नान करेगा।

संगम पर स्नान की व्यवस्था:-
प्रशासन ने इस बार ऐसी व्यवस्था की है कि संगम नासे (मुख्य घाट) पर हर घंटे दो लाख श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे। अखाड़ों के स्नान के लिए अलग से मार्ग बनाया गया है।
यदि किसी कारणवंश आप कुंभ नहीं जा पाएं तो क्या करें?
यदि आप वृद्धावस्था, बीमारी या किसी अन्य कारण से कुंभ क्षेत्र नहीं आ पा रहे हैं, तो जहां भी हों वहीं से धर्म का पालन करें। भगवान का नाम स्मरण करें। ‘गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिंधु कावेरी जलासमींसनिधि करो। इस मंत्र का पाठ करते हुए स्नान करें।
यदि आपके घर पर गंगा-यमुना का जल हो तो उसे स्नान के पात्र में कुछ बूंदे डालकर स्नान करें। यदि यह उपलब्ध न हो तो अपने इष्टदेव का स्मरण करते हुए स्नान करें, इससे भी त्रिवेणी में स्नान करने के समान ही लाभ होगा।
(एक रिपोर्ट के अनुसार जैसा कि कुम्भ क्षेत्र में श्री अनिरुद्ध शर्मा जी कहा)






