Exam Time बच्चों को खेलने दें, यह याददाश्त (memory)और बुद्धिमत्ता बढ़ाने का सही तरीका है। क्योकि शारीरिक गतिविधियां और खेल बच्चों की पढ़ाई में मदद कर सकते हैं।
Exam Time की तैयारी और खेल का संबंध-
परीक्षाएं नजदीक आते ही अक्सर माता-पिता और शिक्षक बच्चों को लगातार पढ़ाई में व्यस्त रखने की कोशिश करते हैं। उन्हें लगता है कि जितना ज्यादा समय बच्चे किताबों के साथ बिताएंगे, उतना ही अच्छा उनका प्रदर्शन होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लगातार पढ़ाई करने से बच्चों की याददाश्त और एकाग्रता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है? इसके बजाय, अगर बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलने और शारीरिक गतिविधियों का समय दिया जाए, तो उनकी याददाश्त और बुद्धिमत्ता दोनों में सुधार हो सकता है।

पहली कहानी: मोनक राज की रचनात्मक सोच-
पिछले गुरुवार की बात है। 22 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर मोनक राज को ऑफिस जाना था। उस दिन उनके लिए दो बहुत जरूरी काम थे – पहला, अपना लैपटॉप ऑफिस पहुंचाना और दूसरा, खुद ऑफिस पहुंचना। मोनक राज ने कैब या ऑटो बुक करने की कोशिश की, लेकिन उस दिन ट्रैफिक और व्यस्त समय के कारण उन्हें कोई कैब नहीं मिली।
तब मोनक ने एक रचनात्मक तरीका अपनाया। उन्होंने पोर्टर एप का इस्तेमाल किया, जो शहर के अंदर सामान डिलीवर करने का काम करता है। इस एप पर 20 किलो से कम वजन का सामान डिलीवर किया जा सकता है। मोनक ने अपना लैपटॉप इस एप के जरिए ऑफिस भेजने का फैसला किया। जब ड्राइवर लैपटॉप लेने आया, तो पथिक ने उससे पूछा कि क्या वह उन्हें भी लैपटॉप के साथ ऑफिस छोड़ सकता है।
ड्राइवर पहले तो थोड़ा असमंजस में पड़ गया, लेकिन बाद में उसने मोनक को गाड़ी के पीछे बैठा लिया और उन्हें ऑफिस तक छोड़ दिया। ड्राइवर ने मोनक से कोई अतिरिक्त पैसे नहीं लिए, इसलिए मोनक ने उसे टिप दी। बाद में पथिक ने सोशल मीडिया पर इस अनुभव को शेयर किया और लिखा, “आज मुझे खुद को ऑफिस तक पोर्टर कराना पड़ा क्योंकि कोई ओला या उबर उपलब्ध नहीं थी।”
इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर काफी सराहना मिली और लोगों ने मोनक की रचनात्मक सोच की तारीफ की। यह कहानी हमें सिखाती है कि कभी-कभी अलग तरीके से सोचने से समस्याओं का हल निकाला जा सकता है।
दूसरी कहानी:चिंटू की सफलता का राज-
दूसरी कहानी 16 साल के लड़के चिंटू की है। चिंटू पढ़ाई में काफी कमजोर था। उसके माता-पिता ने उसकी पढ़ाई पर काफी पैसा और समय खर्च किया, लेकिन चिंटू की परफॉर्मेंस में कोई सुधार नहीं हुआ।
एक दिन चिंटू की मां को “ब्रेन जिम” के बारे में पता चला। इसमें एक खास एक्सरसाइज होती है, जिसे “क्रॉस क्रॉल” कहा जाता है। इस एक्सरसाइज में खड़े होकर बाएं घुटने को दाएं कोहनी से और दाएं घुटने को बाएं कोहनी से छूना होता है। यह एक्सरसाइज मस्तिष्क के दोनों हिस्सों को सक्रिय करती है और उनके बीच संवाद बढ़ाती है।
चिंटू के परिवार ने उसे रोज सुबह और रात में क्रॉस क्रॉल करने के लिए प्रोत्साहित किया। छह हफ्ते बाद चिंटू की पढ़ाई में काफी सुधार हुआ। उसने न सिर्फ पढ़ना शुरू कर दिया, बल्कि उसके अंक भी बेहतर होने लगे। टॉड ने बास्केटबॉल खेलना भी शुरू कर दिया, जो पहले उसके लिए संभव नहीं था।
हाई स्कूल के बाद चिंटू ने कॉलेज में दाखिला लिया और जीव विज्ञान में डिग्री हासिल की। यह कहानी हमें बताती है कि शारीरिक गतिविधियां न सिर्फ शरीर के लिए, बल्कि दिमाग के लिए भी फायदेमंद होती हैं।इसलिए Exam Time परीक्षा के समय बच्चों को खेलने देना चाहिए।
क्रॉस क्रॉल एक्सरसाइज कैसे काम करती है?-
क्रॉस क्रॉल एक्सरसाइज मस्तिष्क के दोनों हिस्सों को सक्रिय करती है। मस्तिष्क के दो हिस्से होते हैं – बायां हेमिस्फीयर और दायां हेमिस्फीयर। बायां हेमिस्फीयर तर्क और भाषा के लिए जिम्मेदार होता है, जबकि दायां हेमिस्फीयर रचनात्मकता और कल्पना के लिए जिम्मेदार होता है।

क्रॉस क्रॉल एक्सरसाइज करने से मस्तिष्क के दोनों हिस्सों के बीच संवाद बढ़ता है। इससे याददाश्त, एकाग्रता और सीखने की क्षमता में सुधार होता है। यही कारण है कि चिंटू की पढ़ाई में इतना सुधार हुआ।
खेल और पढ़ाई का संबंध-
हमारे बुजुर्ग हमेशा कहते थे कि पढ़ाई के साथ-साथ खेलना भी जरूरी है। उन्हें शायद यह नहीं पता था कि इसे वैज्ञानिक रूप से कैसे समझाया जाए, लेकिन उन्हें यह जरूर पता था कि शारीरिक गतिविधियां मानसिक क्षमता को बढ़ाती हैं।
खेलने से न सिर्फ शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि दिमाग भी तेज होता है। खेलने से तनाव कम होता है और मूड अच्छा रहता है। इससे बच्चों की पढ़ाई में मन लगता है और वे बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं।
Exam Time बच्चों को क्या करना चाहिए?-
- नियमित अंतराल पर ब्रेक लें: लगातार पढ़ाई करने से बच्चों की एकाग्रता कम हो सकती है। हर एक घंटे में 10-15 मिनट का ब्रेक लेना चाहिए।
- शारीरिक गतिविधियां करें: ब्रेक के दौरान बच्चों को कुछ शारीरिक गतिविधियां करनी चाहिए, जैसे क्रॉस क्रॉल एक्सरसाइज, टहलना या खेलना।
- संतुलित आहार लें: पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को पौष्टिक आहार भी देना चाहिए। इससे उनकी ऊर्जा बनी रहती है।
- पर्याप्त नींद लें: परीक्षा के समय (Exam Time) बच्चों को कम से कम 7-8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। नींद पूरी न होने से याददाश्त और एकाग्रता प्रभावित हो सकती है।

निष्कर्ष-
Exam Time बच्चों को सिर्फ किताबों में डूबे रहने के बजाय खेलने और शारीरिक गतिविधियों का समय देना चाहिए। इससे न सिर्फ उनकी याददाश्त और एकाग्रता बढ़ेगी, बल्कि वे तनावमुक्त भी रहेंगे। क्रॉस क्रॉल जैसी एक्सरसाइज बच्चों की मानसिक क्षमता को बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।
याद रखें, पढ़ाई और खेल दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। बच्चों (children) को संतुलित तरीके से दोनों चीजों का आनंद लेने दें, ताकि वे न सिर्फ परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकें, बल्कि जिंदगी के हर मुकाम पर सफल हो सकें।
फंडा यह है:-
Exam Time बच्चों को सिर्फ किताबों के साथ न बांधें। उन्हें खेलने और शारीरिक गतिविधियों का समय दें, ताकि उनकी याददाश्त और बुद्धिमत्ता दोनों बढ़ सकें।
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